सोमवार, 27 दिसंबर 2010

मंगलमय नव वर्ष

अरे अरे भोले मानव क्यों भूले अपना इतिहास
उसमें सबका ही विकास है प्यारा गौरवमय इतिहास
जिसको हम विकास कह रहे वह तो निश्चित ही है ह्रास
असली लक्ष्य से भटक चुके हम फिर कैसे हो सुख की आस
जव हम समझें खुद का वैभव तब ही होगा अमित विकास
नया वर्ष शुभ मंगलमय हो और बुराई का हो नाश
एक छोटी-सी बच्ची अपने पापा के साथ जा रही थी। एक पुल पर पानी बहुत तेज़ी से बह रहा था। पापा - बेटी, डरो मत। मेरा हाथ पकड़ लो।
बेटी - नहीं पापा, आप मेरा हाथ पकड़ लो। पापा (मुस्कुराते हुए ) दोनों में क्या अंतर है?
बच्ची - अगर मैंआपका हाथ पकडूँऔर अचानक कुछ हो जाये तो शायद मैं आपका हाथ छोड़ दूँ, लेकिन अगर आप मेरा हाथ पकड़ोगे तो मैं जानती हूँ कि चाहे कुछ भी हो जाये, आप मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे।

हमारा प्रण