बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

मन का रावण

दशहरा दीवाली हैं कितने पावन
पर हम मनाएं उसको बनके रावण
रावण के पुतले को तो जला दिया
पर भीतरी रावण को जगा दिया।

- सोनाली खत्री, टेगोर पब्लिक स्कूल, जयपुर

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

पटाखे न जलाएं, जन-धन को बचाएं ।

पटाखे मत जलाओ, पशु-पक्षियों को बचाओ ।

जो करें अपने पेट्स से प्यार वो करें पटाखों से इंकार ।
पटाखे हैं घमंडी लोगों की शान, वे हमेशा लेते किसी की जान ।

जो करते हैं अपने बच्चों से प्यार, वे पटाखों को दूर से करते नमस्कार ।